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शरद पूर्णिमा

 🌕शरद पूर्णिमा🌕 आज चांद है पूरे यौवन में, सोलह कलाएं धारण किए, कर रही है अठखेलियां, लोग भी है टकटकी लगाए, अमृत किरणों की हैं आस लगाए । चंदा भी ऊपर से सभी को देख मुस्काए, आज ही के दिन कृष्ण ने कि थी लीलाएं, गोपियों संग वृंदावन में रचाया था महरास। आज ही के दिन जन्म लिए थे महा ऋषि, भृगु वंश में जन्म ले ,भिलों के संग पले, डाकू से महर्षि बन काव्य की रचना किए, संस्कृत में पहला काव्य रामायण लिखे, दुनिया को संस्कृति की पहचान दिए । मां लक्ष्मी को भी है ये दिवस प्रिय, शरद ऋतु के शुरुआत की ये पहचान है, शरद पूर्णिमा का एक अपना मान है । श्रीमती मुक्ता सिंह रंकाराज 13/9/19