प्रेम
नमस्कार🙏,जोहार🙏, खम्माघण्णी सा🙏 आज बहुत दिनों बाद मै ब्लॉग पे आई हूं।कुछ निजी कारणवश।औए जबतक शब्दों का ज़खीरा ना हो तो भावाभिव्यक्ति कैसे हो सकती है।आज एक मंच से एक शब्द मिला भाव को व्यक्त करने का "प्रेम"।पहले भी इसपे एक कविता प्रस्तुत कर चुकी हूं।आज फिर से शब्दों के सागर से कुछ मोतियाँ चुन उन्हें व्यक्त कर रही हूं। "प्रेम" हमारी अधूरी प्रेम की सम्पूर्ण कहानी है हम मैं तुझमें और तुम मुझमे हो,कृष्ण-राधा हम दो शरीर एक आत्मा हैं कोई कृष्ण पुकारे,कोई पुकारे राधा-राधा रुकमणी भी प्रेम कर जताती है,अधिकार थोड़ा गुस्सा-जलन-ईर्ष्या कर सताती हमें पर कृष्ण-राधा का प्रेम देख पुलकित हैं नयन मीरा तो प्रेम कर बनी जोगन रोम-रोम पुकारे कृष्ण-कृष्ण ना है राधा से लाग ना है रुकमणी से जलन भक्ति में सुध-बुध खो हुई मग्न श-शरीर जा मिली प्रियतम श्री कृष्ण से श्रीमती मुक्ता सिंह रंका राज 23/1/24