गहने
"गहने" हम सभी एक साथ दीवानखाने में बैठे हुए थे । और यूँही गपबाजी इधर-उधर की चल रही थी ।हंसी मज़ाक का माहौल था,सभी एक दूसरे के टांग खिचाई कर रहे थे।और टेलीविज़न पे एक धारावाहिक "रिश्ते नए लिखेंगे "चल रही थी ।उसमे एक किरदार ने काफी गहने पहन रखे थे ।जिसे देख हम सभी मज़ाक के मूड में थे। सभी अपने अपने विचार व्यक्त कर रहे थे ।इतने में ही हमारे पतिदेव बोल उठे की इन आधी आबादी को अगर गहने के नाम पे सोने की ईंट भी लेटेस्ट फैशन कह कर दे दिया जाये तो वे ख़ुशी से फूली नहीं समायेंगी।और पहन कर काफी खुश होंगी। अब भला मेरे सामने आधी आबादी को निशाने पे लिया जा रहा था और मै बिना जवाब दिए या बिना अपना पक्ष रखे चुप भी नहीं रह सकती थी।मै बोली बिलकुल सही कहा आपने। पर क्या उसके पीछे की छुपी भावना को जानने की कोशिश की है आपलोगों ने कि, क्यों खुश हो जाती हैं महिलाएं गहनो के नाम पे। दरअसल इसके पीछे भी उनकी परिवार के प्रति चिन्ता और सुख की ही कामना होती है। अब चौकने की बारी उन सभी की थी।सभी ने मज़ाक भरे लहजे में मुझसे सवाल किया की कैसे ?