तेरा मेरा साथ
*तेरा मेरा साथ* ये शाम सुहानी और तेरा साथ,उसपे तेरा यूँ मुस्कराना, काश वक़्त यहीं ठहर जाए,और मै तुझे ही देखती रहूं। ये हल्की सी बारिश की फुहारें,जैसे झीने से झांकती दुल्हन, उस पल की उत्कंठा की चपल वो मन-ओ-नयन, ये पल भी जैसे लिख रही हो अफसाना कोई हमारे जज्बातों का। ख्वाबों का महल तेरे साथ से,गढ़ रहा चाहतों का जहां, तेरी मुस्कराहट और मेरे नयन,बिन बोले ही बोल रहे, हम-तुम अधूरे एकदूजे के बिन,धड़कने भी ना चले एकदूजे बिन। तुम मेरे कबूल दुआ की मिल्कियत,मै तेरी इश्क़ की अल्फ़ाज़, दर्द का सहर, खुशियों की छांव,सब तेरे साथ का असर। सुना है मुहब्बत पत्थरों के शहर में कांच का महल है, पर तेरा मेरा अफसाना,ईश्वर का वो आशीर्वाद है, जो सात फेरों से बंधा,सात जन्मों का सुहाना सफऱ है । श्रीमती मुक्ता सिंह रंका राज 27/8/2020