मुस्कराहटें उधार मांग लाई हूं
*मुस्कराहटें उधार मांग लाई हूं* जरूरी नही,जिनके चेहरे पे हंसी हो उनके दिलों में गमों का सागर न हो । कुछ मुस्कराहटें उधार मांग लाई हूं गमों ने इतना कंगाल किया थोड़ी देर,दोस्तों की महफ़िल में बैठ यादों को आग़ोश में छुपा लेती हूं तुम सपने दिखा,दगा दे गए भरी महफ़िल में शुक्रिया तेरा ये मेरे दिल-ए-अज़ीज़ जी लुंगी,तेरी तस्वीरों से बात करते हुए शुक्रिया,शुक्रिया,शुक्रिया तेरा श्रीमती मुक्ता सिंह रंकाराज 18/2/23