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Showing posts from October, 2020

जिंदगी तेरे रंग बहुत देखे

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 नमस्कार🙏जोहार🙏खम्मागन्नी सा🙏 आज मै हर किसी के जिंदगी की सच्चाई को कलमबद्ध करने की कोशिश की हूं और आशा करती हूं कि आपको पसंद आएगी। *ज़िन्दगी तेरे रंग बहुत देखे* ज़िन्दगी तेरे रंग बहुत देखे झूठी खुशियों की चाह में सबकुछ लुटा के भी देखे हम बदले पूरी तरह पर तेरे तेवर ना बदले । तू तो ठंढे पानी मे खड़े उस बुजुर्ग की आशा बने सुदूर टिमटिमाते बल्ब की रौशनी की गर्मी की तरह रही जो उम्मीद बन चमकती तो रही पर मिली कभी भी ना ज़िन्दगी तेरे रंग बहुत देखे । कुछ अपने देखे,कुछ अपनापन देखे कुछ अपनापन का चोला ओढ़े देखे हम भी मुस्कराये हर पल तेरे हर रंग को समेटते रहे पर खुशियों की चाह में  बोझिल सा है अब मन मेरा अकेले में एक बूंद में  ढलक जाता है विश्वास कहीं ज़िन्दगी तेरे रंग बहुत देखे । अब बस कर थोड़े हंसी के फ़व्वारे में भीगने दे तुझे अपनी मर्ज़ी से जीने दे बहुत करवटें बदले तेरी चाहत में अब चैन की नींद सोने दे ज़िन्दगी तेरे रंग बहुत देखे। श्रीमती मुक्ता सिंह रंकाराज 28/10/20

तस्वीर

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 नमस्कार🙏जोहार🙏खम्मागन्नी सा🙏।आज हमारे एक परिचित ने हमारी शादी के कुछ महीने बाद कि एक तस्वीर हमें भेजी।जिससे काफी यादें जुड़ी हुई थी हमारी।बहुत अच्छा लगा।उसी पे मेरी ये रचना है।आशा है कि आपको भी पसंद आएगी। *तस्वीर * आज किसी ने भेजी है हमारी यादों की तस्वीर पुरानी बन्द पड़े थे जो जज्बात अल्बम के पन्नों में आज किसी ने वो अहसास भेजा है। जिंदगी के उधेड़-बुन में खो गए थे वो सुनहरे लम्हें कहीं आज किसी ने वो अनमोल लम्हात भेजा है। क्या दिन थे वो भी  अनजाने राह के हमराही थे हम कुछ उन्हें समझना था,कुछ हमें समझना था आज किसी ने वो शुरुआत भेजा है आज को समझने-समझाने में  कब बीत गया वो सुनहरा कल कल की चिंता में बिखर गए वो पल आज किसी ने वो पलों का सौगात भेजा है। समय बदला,लोग बदले,रिश्ते बदले बागों में प्यार के फूल भी खिले कुछ तुम बदले,कुछ हम बदले पर बदला नही हमारा विश्वास आज किसी ने वो,विश्वास की शुरुआत भेजा है। ये तस्वीरें थी तो मेरे पास भी बन्द अल्बम के पन्नो में इंतज़ार करती कभी फुर्सत नही मिली, तो कभी बन्धनों को निभाते रहे आज किसी ने इंतज़ार की वो याद भेजा है। श्रीमती मुक्ता सिंह रंकाराज 10/10/2020

बारिश

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 नमस्कार🙏जोहार🙏खम्मागन्नी सा🙏आज मैं अपनी भतीजी की उस निश्छल चिंता को चित्रित करने का प्रयास की हूं।आज मैं मोबाइल की गैलेरी में फ़ोटो देख रही थी तो अनायास ही यह अहसास जीवंत हो उठी जिसे मैंने शब्दबद्ध करने की कोशिस की हूं।            बारिश मैं टहल रही थी आंगन में प्रफुलित सी सँजो रही थी बारिश की बूंदों को अंतर्मन तक तभी छोटी-छोटी डग भरती दौड़ती आई पायल की रुनझुन से मंत्रमुग्ध करती आई। तुतलाती जबां में मेरा ही नाम पुकार रही थी बुआ-बुआ,मैं आ गयी नही तो आप भीग जाती हाथों में उसके उससे बड़ी छतरी थी चेहरे पे भोली मुस्कान और थी निश्छल चिंता। उसे देख बचपना मन मे अंकुरण लेने लगी उस पल उसकी बातों से बचपन में हम खो गए वो और हम दोनों जैसे एक हो गए वो थोड़ी बड़ी बन गयी,मैं थोड़ी बच्ची बन गयी। फिर बारिश की बूंदों से हम दोनों खूब खेले न डर था सर्दी जुकाम का,न डर बुखार का बस जी लेना चाहते थे इस पल-पल को। श्रीमती मुक्ता सिंह रंकाराज 4/10/20

रिश्ते तोड़ जाते हैं

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 नमस्कार🙏जोहार🙏खम्मागन्नी सा🙏आज मैं आज की भौतिकतावादी रिश्तों को कुछ शब्दों में बयां करने की कोशिस की हूं।और आशा करती हूं कि आप सबों को पसन्द आएगी।     #रिश्ते तोड़ जाते हैं# छोटी सी बात पे रिश्ते तोड़ जाते हैं जिसे सम्भाला मैंने सांसों की तरह आंसू भी जज्बातों के सैलाब में  डूब चुपके से ढलक जाती है । ये दिल के तूफ़ां न जाने क्या-क्या  गुस्से के अंधडों में तोड़ जाएगी आज प्यार का बंधन सोने के जंजीरों में तौली जाएगी। दुनिया है बड़ी मतलबी दोस्ती हो या प्यार सबकी लगती है बोलियां खनकते सिक्कों के बाजार में जज़्बात स्वार्थ के रंग में घोले जाते हैं। प्यार में किये लाख मन्नतें पर इश्क़ मेरा अधूरा ही रहा मैं आशाओं का साथ निभाता रहा और वक़्त क्रूर खेल खेलता रहा। क्या फ़ायदा हुआ किस्मत की लकीरों को रंगीन करने से दिल मे कल भी तेरी यादों का पहरा था आज भी है तेरे नाम के गहरे राज दिल मे छुपे। श्रीमती मुक्ता सिंह रंका राज 29/9/2020

इश्क़

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 इश्क़ नमस्कार🙏जोहार🙏खम्मागन्नी सा🙏।आज मैं आपके समक्ष इश्क़ कुछ बातों को थोड़े शब्दों में परिभाषित करने का प्रयास की हूं।और आशा करती हूं कि आपको पसंद आएगी। #इश्क़# ये इश्क़, हमारी जिन्दगी की बंदिगी है कैसे बताऊं की ये क्या है ये गुलाबी सर्द सी,शर्म से सिमटी  गंगा सी निर्मल,निश्छल,रागों की सरगम राधा सी समर्पण,भावनायों की पूंजी है। इश्क़ में,  सुना है लोग बिखर के निखर जाते हैं और अधूरे रह कर भी मुकम्मल हो जाते हैं जो तू नही तो दोस्तों की महफिलों में भी  तन्हाइयों का आलम है साथ हैं तो बस हम और तेरी यादें। इश्क़ की बातें, तुमसे बताना बहुत कुछ था मिलकर  पर समय की बेरहमी का हुआ ऐसा असर मिलने से पहले ही तुम हुए यूं बेरहम कि सुननेवाला बस मैं और मेरी तनहाइयाँ थी। इश्क़ की,  राहों में खतरे अनजानी-जानी पहचानी सी दोस्तों की भीड़ में दुश्मनों के कई चेहरे हैं जिम्मेवारियों के कसौटियों के लगे मेले हैं आओ हम अलग होकर भी राधाकृष्ण बन जाते हैं। श्रीमती मुक्ता सिंह रंकाराज 4/10/2020

मुस्कराहट

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 मुस्कराहट नमस्कार🙏जोहार🙏खम्मागण्णी सा🙏आज मैं एक आशिक के चेहरे की मुस्कराहट के राज़ को कलमबद्ध करने की कोशिश की हूं।और आशा करती हूं कि आपको पसंद आएगी।            #मुस्कराहट# तेरे चेहरे पे मुस्कराहट के राज बड़े गहरे हैं दिल मे उठा है तूफ़ां जिसका,उसका दिल पे राज बड़े गहरे हैं फ़िज़ायों में जब भी गूंजता है उसका नाम भूले से  तेरे चेहरे की मासूमियत उसके रंगों में ढल जाती है लाख छुपा ले तू अपनी घबराहट को ठहाकों में तेरे चेहरे का सुर्ख रंग उसके रंगों में ढल जाती है बातों में बेचैनियां,दिल की धड़कन आवाजों में थर्राती है नज़रें झुकाए सबसे वो एक पल कई सपनो में ढल जाती है बड़े खुशनशीब है महबूब तेरे,जो तू उन्हें इतनी मुहब्बत करता है और तेरा इश्क़ इंतजार में भी उनका प्यार ढूंढ लेता है। श्रीमती मुक्ता सिंह रंकाराज 5/10/20