महारानी अहिल्यबाई होलकर
*महारानी अहिल्याबाई होलकर* जब चारों फैला था अराजकता और अत्याचार का शासन, जनमानस रूढ़िवादिता में जकड़ सिसक रही थी, येसे में शासन संभाली निर्भीक वीर माता महारानी अहिल्याबाई, महान योद्धा के साथ थी कुशल तीरंदाज भी, कई युद्धों में हाथी पे सवार किया सेना का कुशल नेतृत्व, घोड़े पे भी सवार कुशल रणबकुरा बन पति का भी देती थी साथ, इतिहास में भी पहली महिला शासिका का कराया नाम दर्ज, थी अपने ससुर मल्हार राव होलकर की आज्ञाकारी पुत्रवधू, अपना सब खोकर जनता को ही सबकुछ माना, विधवाओं की संपति जब्त कानून को भी तोड़ा, महिलाओं को उनका सम्मान और अधिकार दिलाया, शिव शंकर की थीं परम भक्त , राजचिन्ह में भी लिखती शंकर, रुपयों पर शिवलिंग, बेलपत्र और पैसों पर नंदी को उकेरती थी, शिव शम्भू को गदी सौप, उनकी सेविका बन राज्य चलाती थी, सफेद वस्त्र में साध्वी बन दूसरों के दुखों को पार लगाती थी, काशी विश्वनाथ की सुधि ले की थी मंदिर नवनिर्माण, कई धर्मस्थलों पे बावड़ी, मंदिर, सड़कों का किया नवनिर्माण, नदियों के हर घाट पे महिलाओं के सम्मान का रखा ध्यान, स्त्री - शिक्षा और उनके सम्मान के लिए भी चलाया जा