अस्तित्व की लड़ाई नारी की
*अस्तित्व की लड़ाई नारी की* अस्तित्व की लड़ाई क्या है जाकर कभी उस स्त्री से पूछो जो किसी की माता है,तो है किसी की बेटी उस नारी से पूछो जो है किसी की है पत्नी,बहू हर सम्बन्ध में प्यार बदल जायेगा सम्मान बदल जायेगा परिवार का नज़रिया बदल जायेगा माता-बेटी है अपनी सम्मान और दिल का टुकड़ा पत्नी-बहू तो आई है दूसरे घर से उनसे घरवालों का बस है स्वार्थ का नाता अस्तित्व की लड़ाई क्या है जाकर कभी उस स्त्री से पूछो जो कभी उन्मुक्त विचरती थी घर-आंगन में पत्नी-बहू की जिम्मेवारियों तले खुलकर बोलने का भी अधिकार जाता रहा बिरले ही घर हैं ऐसे जहां पत्नी-बहू लक्ष्मी बन है इतराती उसके बिना घर की खुशियां लगती है अधूरी अस्तित्व की लड़ाई क्या है जाकर कभी उस स्त्री से पूछो श्रीमती मुक्ता सिंह रंकाराज 30/7/23