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Showing posts from July, 2022

शिव:सृजनहार व विध्वंसकार"*

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 *"शिव:सृजनहार व विध्वंसकार"* शिव इस सृष्टि के अधिकर्ता है। वे संहारक हैं और सृजनहार भी। संपूर्ण ब्रह्मांड के चराचर में शिव तत्व व्याप्त है।और यह माना जाता है कि ब्रह्मांड ऊं की ध्वनि में लीन है। भगवान रुद्र ही सभी लोगों को अपनी शक्ति से संचालित करते हैं। वही सब के भीतर अंतर्यामी रूप से भी स्थित हैं। शिवलिंग के तीन हिस्से होते हैं. पहला हिस्सा जो नीचे चारों ओर भूमिगत रहता है। मध्य भाग में आठों ओर एक समान सतह बनी होती है।अंत में इसका शीर्ष भाग, जो कि अंडाकार होता है जिसकी पूजा की जाती है। इस शिवलिंग की ऊंचाई संपूर्ण मंडल या परिधि की एक तिहाई होती है। शिवलिंग दो प्रकार के होते हैं-- पहला आकाशीय या उल्का शिवलिंग और दूसरा पारद शिवलिंग। ये तीन भाग ब्रह्मा (नीचे), विष्णु (मध्य) और शिव (शीर्ष) का प्रतीक हैं।शीर्ष पर जल डाला जाता है, जो नीचे बैठक से बहते हुए बनाए एक मार्ग से निकल जाता है।शिव के माथे पर तीन रेखाएं (त्रिपुंड) और एक बिंदू होता है, ये रेखाएं शिवलिंग पर समान रूप से अंकित होती हैं। सभी शिव मंदिरों के गर्भगृह में गोलाकार आधार के बीच रखा गया एक घुमावदार और अंडाकार शिवलिंग के

काश कोई लौटा दो

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 *काश कोई लौटा दो* इन दवाओं की शुक्रगुजार हूं मै,क्योंकि इन्हें खाते ही हो जाती हैं पलकें बोझिल और नींद अपनी आगोश में ले लेती है आज की रात क़यामत की रात थी और आज का दिन काला दिन था,जो  लूट ले गया मेरी दुनिया,और मै बेखबर रही मां की ममता चीत्कार कर रही थी मौत को भी मानने से इनकार कर रही दिल दर्द से इतना जल रहा था  कि आंसू सुख गए,बहना भूल गए सिर्फ चेहरे पे चीत्कार थी,पुकार थी हर किसी से गुहार कर रही थी ये माँ कोई तो लौटा दो मेरी खुशियां कैसे जियूँ तेरे बिना  काश कोई लौटा दो मेरी खुशियां अब ये दर्द साल-दर-साल हो गया ना कोई चमत्कार,ना ही कोई उपकार हुआ मेरा दर्द अंतहीन बन गया आह काश कोई लौटा दो मेरा दिल का टुकड़ा ज़िन्दगी भर चाकरी करूँ तेरी,काश.… लोगों की तरस,सांत्वना नही चाहिए मुझे मेरा ज़िगर का टुकड़ा चाहिए मुझे काश कोई लौट दो.... एक अंतहीन इंतज़ार में बंधी ये माँ ओ अब लौट कर नही आएगी पर दिल ये मानने को तैयार नही हज़ारों भुलावे दिए दिल को पर हरबार इंतज़ार के खोज लेती है बहाने काश कोई लौटा दो..... अब दर्द ही हमदर्द बन गया है यही साथी,यही सम्बल बन गया है काश कोई लौट दो.... श्रीमती मुक्ता सिंह रंकारा

राजस्थान के शहरों को रंगों से क्यूं जाना जाता है

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 *राजस्थान के शहरों को रंगों से क्यूं जाना जाता है* राजस्थान का नाम आते ही रंगीले वीरों की भूमि के रूप में मन में स्वतः ही चलचित्र बनने लगते हैं।इन्हीं रंगों में एक और विशेषता के लिए भी राजस्थान भारत का मात्र एक राज्य प्रसिद्ध है।और वो है इसके चार बड़े शहर को इनके नामों के अलावे रंगों से पहचाना जाता है।ये बात शायद भारत के बहुत कम लोगों के दिमाग में हो।आज से पहले मेरे दिमाग मे भी ये बात नही आई।और ना ही इसके पीछे छुपे इतिहास को जानने की इक्षा हुई।हैं जो राजस्थान घूमने जा चुके हैं।वैसे लोग इस बात से भलीभांति परिचित हैं। और वो चार रंग हैं जयपुर पिंक है, तो जोधपुर ब्लू, जैसलमेर गोल्डन है तो उदयपुर व्हाइट।तो चलिए आज इन रंगों से जाना जाने के पीछे के इतिहास को जानते हैं। *जोधपुर (ब्लू सिटी)* राजस्थान का जोधपुर ही इस देश का ब्लू सिटी है, जो लगभग 558 साल पहले बसाया गया था। यह एक बहुत ही खुबसूरत शहर है और यह शहर अपने रंग की वजह से जाना जाता है। इस शहर के बारे में कहा जाता है कि 1459 में राव जोधा ने जोधपुर शहर की खोज की थी। जोधा, राठौड़ समाज के मुखिया और जोधपुर के 15वें राजा थे। उनके नाम से ही इस शह