भुला ना सकेंगे तेरी शहादत
"भुला न सकेंगे तेरी शहादत" भुला न सकेंगे हम गलवानघाटी के तेरे बलिदान को तेरे साथ हुए धोखे को । भुला न सकेंगे हम तेरी शहादत से मिली हिफाज़त को। वतन की खातिर शहादत करते तेरे अरमानों को। देश की खातिर मर मिटने के तेरे जज़्बातों को । तुम जब तिरंगे में लिपटे पहुंचे होगे अपने आंगन । नमन करने को उमड़ पड़ा होगा सारा वतन । तब तुम आसमां में भी बैठ कर रहे होगे वतन को नमन । फक्र है हमे तेरी बहादुरी पे और रोष है दुश्मनों की धोखाधड़ी पे । पर वो क्या जाने हमारे वीरों के हौसले को आज मन ही मन दुश्मन भी कर रहा होगा तेरी बहादुरी को नमन। भुला न सकेंगे हम गलवानघाटी के तेरे बलिदान को कई अरमान लिए तेरे शहादत को। उस गीली मेहंदी को जो अब रच रही तेरे बलिदानों से। उस मां के हौसलों को जिसने बड़ी आशीषों के साथ भेजा था तुझे सरहद की सुरक्षा को । उस पिता के हिम्मत को जिसने परिवार की जिम्मेवारियों से मुक्त कर भेजा था तुझे देश की सीमा की जिम्मेवारियां दे । उस बहन को जिसने तुझे राखी बांध कसम ली थी देश की सुरक्षा की । उस जन्मभूमि की मिट्टी को जिसके धरती पे जन्म लिए थे तुम जै