देश टूटा अहंकार में
"देश टूटा अहंकार में" ईश्वर से चले पहचान में बदले, देश से चले राज्य में बदले, राज्य से चले गांव में बदले, गांव से चले मोहल्ले में बदले, मोहल्ले से चले परिवार में बदले, परिवार से चले व्यक्ति में बदले, हम विराट से चले थे और शून्य में बदल गए, क्या हम शून्य से विराट की ओर चल पाएंगे, हमारी कट्टरता ना जाने हमे ले जायेगी, यह हमारा विकार है अहंकार है, संस्कार तो खो गए कही कट्टरता में, आज हम कुछ भी ना रहे इस विचार में, संस्कार खो गए कहीं इस विचार में, पहचान छूटी गांव छुट्टा प्रान्त छूटा देश टूटा इसी अहंकर में । श्रीमती मुक्ता सिंह रंकाराज