"ख्वाहिशों का काश"
"ख्वाहिशों का काश" काश एक हसीं अल्फाज है जो, मन में आशा की किरण बन चमकता है , और लगता है की काश ऐसा हो जाता ! ख्वाब हकीकत में बदल जाता, और मुश्किल वक्त लम्हों में गुजर जाता । जिंदगी में ख्वाहिशों की नही है मंज़िल, कुछ पूरे कुछ अधुरे और कुछ खास, ना जाने इनमे कितने है काश शामिल, काश कास के फूलों की तरह हवा में बिखर जाते है, और कुछ आज भी अटके हैं पूरे होने के जिद में । काश ख्वाबों का वह जाल है, जिसमे सपने सुहाने मकड़जाल है, और हकीकत पथरीली पगडण्डी। पर हमें है काश को हकीकत बनाना, सपनो को साकार कर धरातल पर उतारना, पुरे होने की आश में काश को मंजिल दिलाना, क्योंकि साँस थम जाती है एक आस टूट जाने से, क्योंकि ख्वाहिशों की नहीं है कोई मंजिल, और ख्वाहिशों का काश का आस गहरा होता है । ............📝 श्रीमती मुक्ता सिंह