उम्मीदें
"उम्मीदें" एक ख़ुशनुमा सा फ़लसफ़ा है लफ़्ज़ 'उमीदें', बड़ा सुकून है इस हसीं लफ़्ज़ 'उम्मीदें' में, एक सम्बल सा देती है जिंदगी में में ये लफ़्ज़, एक अनदेखी सी दुनिया में ये ले जाती है ये लफ़्ज़ । इस लफ़्ज़ का दायरा है बड़ा और हसीं, मानो जागती आँखों से देख रहे हों दुनिया नयी, लोग कहते हैं की उम्मीदों पे ही दुनिया है टिकी, जहाँ उम्मीद न हो वहां सफलता है नहीं । पर इस लफ्ज 'उम्मीद' का दूसरा भी है पहलू, क्योंकि जब उम्मीदें ज्यादा बढ़ती हैं , तकलीफें भी वहीँ दरवाजा खटखटाती है, सपनो का टूटने का दर्द दीखता नहीं है, उसका चुभन जिंदगी भर के घाव दे जाता है, जिंदगी बीत जाती है इस चुभन से उबरने में। ....................📝श्रीमती मुक्ता सिंह