Posts

Showing posts from June, 2023

दिव्यता का सफर

Image
 *दिव्यता का सफर* दिए की लॉ में भी न थी इतनी रौशनी जो रौशन कर सके तेरे दर्प को वो भी उधार मांग रही हो जैसे तुझसे दिव्यता प्रकाश की दिव्य आभा लिये दिव्यता के सफर पे चली गयी तुम छोड़ गई अपनी माँ को यादों के अंधेरे में देहरी खड़ी दिल-ही-दिल पुकारती हूं तेरे दिव्यता की रौशनी की झलक ढूंढती हूं काश समय चक्र उल्टा घूम जाता समेट लेती बांहों में,छुपा लेती अंकों मे चट्टान बन जाती तेरी दिव्यता के सफर में श्रीमती मुक्ता सिंह रंकाराज 24/6/23

नींद और ख्वाब के दरमियाँ

Image
 *नींद और ख्वाब के दरमियाँ नींद और ख्वाब के दरमियाँ बस तेरे-मेरे अफ़साने हैं याद इतने आते हो कि,तारे गिनते कब सहर हुई पता न चला और ख्वाबों में जो तुम आये रात बैरी बन सुबह में बदल गयी नींद और ख्वाब के दरमियाँ बस तेरे-मेरे अफ़साने हैं इंतजार में नींद रूठी रही हम मनाते रहे, और मेरे ख्वाबों पे तो तेरा ही हुकूमत है नींद और ख्वाब के दरमियाँ बस तेरे-मेरे अफ़साने हैं चाँद भी लुकछुप अठखेली करता नज़र रखता है हमारी वेचैनियों पे नींद तो सौतन बन ही बैठी है ख्वाब भी आंखे दिखाता है। श्रीमती मुक्ता सिंह रंकाराज 11/6/23