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Showing posts from September, 2019

डर

"डर" जब भी जुबान पे मुस्कराहटों ने आहट दी, जमाने की तीखी नज़रों ने बिंध डाला खुशियों को, खुशियों की आने की आहट अभी सुनी ही थी हमने, कि गमों की आंधियों ने डेरा डाल दिया । कलियां भंवरों की गुनगुन से हुई ही थी प्रस्फुटित, कि आंधियों के थपेड़ों ने चमन ही उजाड़ डाला, कुदरत का ये कैसा बदला है मिजाज़, कि पतझड़ में बरसात का तूफ़ान आ गया, बहारे चमन में बवंडर का तांडव हो गया । अब बगिया को है इंतज़ार बहार का, पर मन के एक कोने में डर भी है समायी सी, कि कहीं बाहर के आने के पहले ही, चमन ना लूट जाए , बसंत हो जाए बेवफ़ा, साथी तूफ़ान ना बन जाए । श्रीमती मुक्ता सिंह रंकाराज 19/9/19

माँ तेरी बांहों में

*माँ तेरी बांहों में* माँ! आज भी बांहे फैलाये जब तुम समेटती हो मुझे, लगता है जैसे सारा संसार मिल गया हो मुझे, जिंदगी का हर सबक तुमसे ही सीखा मैंने, मेरे सपनो को भी रंग भरा है तुमने, मेरी खामोशियों को भी तुम सुन लेती हो धीरे से, आज भी तुम थकी सी थी बैठी थोड़े अनमने से, पर जब अपनी बाँहो में मुझे समेटा तुमने, एक सुखद मुस्कान खिल उठी तेरे चेहरे पर, उस पल लगा जैसे स्वर्ग हो यहीं माँ तेरी बाँहों में, दुनिया की हर तपिश में शीतल छाया  तेरी बाँहें देती हैं माँ तेरी करुणा है न्यारी,नित नयी शक्ति देती है, बन अमृत का सागर हर गम को समेट लेती हो, आज भी बांहे फैला मुझको छोटा सा बच्चा बनाती हो माँ आज भी बांहे फैलाये जब तुम समेटती हो मुझे, लगता है जैसे सारा संसार मिल गया हो मुझे। जिंदगी का हर लम्हा तुमसे गुलज़ार  है , तुमसे ही मेरा वजूद और मेरी शख्सियत है, श्रीमती मुक्ता सिंह रंकाराज झारखंड 14/4/19

दिल तुम्हारा भी तो धड़का था

"दिल तुम्हारा भी तो धड़का था" तू मेरे जिंदगी में उस वक्त आई जब मै तन्हा था, रुस्वा था जमाने से, अनमने से पहुंचा था यूनिवर्सिटी जब एडमिट कार्ड लेने, पहली दफा तेरी फ़ोटो देख अपनापन सा महशुस हुआ था, ना जाने क्या थी तेरी आँखों में जो सीधे दिल में उतर गयी थी, मै क्या जानता था की ये पढाई का नहीं जिंदगी की परीक्षा थी, जब हमारी नज़रें मिली थी पहली बार दिल जोर से धड़का था, तुमने जो मुझसे नज़र मिलाई थी दिल तो तुम्हारा भी धड़का था, तुम भले ही इंकार करो तेरे चेहरे की लाली ने सारा राज़ खोला था, जैसे जैसे नजदीक आ रहे थे मेरे कदम हमदोनो का दिल धड़का था, वो परीक्षा नहीं थी मेरे जीवन की एक सुहानी सवेरा थी, जिसकी किरणे बन कर तुम मुझे प्यार के सागर में नहलाई थी, आज भी मै वही खड़ा हूँ तेरे इंतज्जार में ,फिर से दिख जाये तू कहीं, लगता है कि काश वो पल रुक गया होता वहीँ कुछ तुम कहते कुछ हम, तेरे प्यार की लाली से सराबोर वो चेहरा आज भी नहीं भुला हूँ मै, दिन बदले रिश्ते बंधे नए रिश्तों में पर तेरी यादों का पहरा न गया, आज भी तू धड़कती है मेरे दिल में मेरी सांसे बनकर, आज भी इ

जीत

🌹जीत🌹 🌹🥇ये गोल्ड मेडल तेरी मेहनत की गवाही दे रही, 🏆ये प्रमाण पत्र तेरी सुर्ख ख्वाबों की रंगत है , 🏆आज तुम्हारी जीत देख बेइंतहा खुशी हुई, 🌹तेरी सफलता की कड़ियों में इज़ाफ़ा हुआ, 😍हमारी तमन्ना और उम्मीदों को आसरा मिला। 🙏मेरी दुआ है मां गुरु से आज, 👍तू हौसले को बुलंद कर, 👍आत्मविश्वास को संग कर, 🌹साहस,हिम्मत,संयम, धैर्य को, ☝️अपनी मंजिलों की सीढ़ियां बना, 👣सफलता की सीढ़ियां यूं ही चढ़े। 👍इरादों में जीत का जुनून यूं ही रखना, 👍आत्मविश्वास को यूं ही बनाए रखना 🌅एक दिन आसमां भी जमीन पे आएगा, 🏃सफलता कदमों में मुस्कराएगा । 🌹सफलता का ये मुकाम का 💝बहुत - बहुत 🌹बधाई🌹 मेरी💕 राजकुमारी💗🌹 श्रीमती मुक्ता सिंह रंकाराज 30/8/19