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जब कभी तुझसे मुलाकात होगी

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 "जब कभी तुझसे मुलाकात होगी" शायरी की ख़्वाहिशें नही,तू मेरी इबादत है ये कम्बख़्त बागी जज़्बात हैं जो शब्दों में कागजों पे बिखर जाते हैं यादें तो हमेशा गुलज़ार रहीं मेरी बीते खुशनुमा पलों के खुशबुयों से जब भी आंखें बन्द करता हूं तेरा ही अक्स मुस्कराता है जी रहा हूं बन्धनों की जागीरें बना पर दिल की मिल्कियत तेरे ही नाम है भले ही हक़ नही मेरा तुझपर पर मैं तो सिर्फ तेरे दीदार का गुलाम हूं बस एक वो पल  सबसे हसीं होगा जिंदगी का जब तुझसे मुलाकात होगी बात हो या न हो तुझसे पर नज़रों ही नज़रों में  शिक़वे-शिकायतें हज़ार होंगी । श्रीमती मुक्ता सिंह रंकाराज 17/2/21