मां भारती की पुकार
#मां भारती की पुकार# हम मना रहे हिन्दू स्वराज्य दिवस और बंगाल की बेटियां अस्मत लुटा रही सभी के चेहरे झेंपे से,दबे ज़बान में चिल्ला रहे हमने की मदद,हमने की मदद ज़रा उन हिन्दू बेटियों से पूछो उनको किस बात की मिली सज़ा बस इतना सा ही तो ख्वाब देखा था उनके परिवार ने बंगाल में वहां भी हो सुराज्य स्थापित हर हिन्दू के घर खुशियों की दीप जले ममता सुरसा राक्षसी का हो अब पतन। बड़े अभिमान से गरजे थे अमित और मोदी नड्डा ने दिलाया था विस्वास,बड़े स्नेह से जिनके सर पे हाथ रखा था और हाथों में थमाया था हिंदुत्व का झंडा सबसे पहले वो घर लूटा लूटी अस्मत बीच बाजार में। घर छोड़ सर छुपाए डरे सहमे से हमारे हिन्दू भाई न्याय के आसरे टकटकी हैं लगाए बाट जोह रहे फिर से भगत-बोस की क्योंकि न्याय छुपा बैठा है लोकतंत्र के भेष में राजनीति की उजली टोपी में बहरे हुए राजनेता,बहरी हुई न्यायपालिका सबने सिर्फ हमदर्दी के नाम पे है अपनी राजनीति चमकाई। धरातल पुकार रही,ये शहीदों क्यों छोड़ गए तुम इन स्वार्थलोलुप भेड़ियों के हाथों में अपनी मां को जिसकी अस्मत नोच रहे भेड़िये अराजकता फैला उस हिम्मत को पुकार रही मां भारती जिसने किये थे