दोस्ती को ना तौल
*"दोस्ती को ना तौल"* रिश्ते के तराजू में दोस्ती को ना तौल ये दोस्त, मै हनुमान नहीं जो दिल चीर के तेरा नाम दिखा दूं, हर रिश्ते ने गम दिया है दोस्ती ने भी नाता तोड़ लिया है, मै ना सीख पाई दुनियादारी की रिवायतें, बस दिल की सुनी और चल पड़ी कांटो में फूल ढूंढने, जख्मों से पैर छलनी है पर मंजिलों की आस बनी है, बस अब बस टूट गए होसले, ना रही अब किसी से शिकवा ना शिकायतें, सब खुश रहें यही है दुआ बस अब रब से, क्या खूब कहा है किसी ने - "किसी के बिना रुकती नहीं जिंदगी , और अपनों के बिना कटती नहीं जिंदगी।" श्रीमती मुक्ता सिंह रंकाराज 22/6/19